28 अखण्ड ज्योति मंदिर की मुख्य विषेषताएं

  •  सम्पूर्ण विष्व में यह एक मात्र ऐसा मंदिर जहाँ मूलगर्भ एक परिधि में किसी अदृष्य शक्ति के संकेत के अनुसार 28 अखण्ड ज्योतियाँ (27 घी से व एक मुंगफली के तेल से) प्रज्वलित है। विस्मय है इन सभी ज्योतियाॅ में प्रतिपल चंदन, केसर की पांखुड़ियां एवं चदंन एकत्रित होता है व उनके ऊपर श्याम वर्णीय तथा केसरिया रंग के तिलक विद्यमान है।

  •  अतिविस्मय है जहाँ एक दीपक में सिक्के के आकार में चन्दन एकत्रित होता है। पृथ्वी लोक में सफेद चंदन कभी भी किसी ने देखा नहीं है। ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है कि देवलोक में देवता भगवान शिवजी एंव षिवलिंग की पूजा सफेद चंदन से ही किया करते है। यही कारण है कि पृथ्वी लोक में षिवलिंग पर ऊँ सफेद रंग में अंकित किया जाता है। जैन शास्त्रोंनुसार सफेद चंदन देवलोक में मल्यागिरी पर्वत में होता है। इसी सफेद चंदन में माँ चक्रेष्वरी का निवास है तथा इस तीर्थ में माँ चक्रेष्वरी का विषेष अतिषयकारी प्रभाव है।

  •  जहाॅ अदृष्य दैविक शक्ति ने सन् 1998 एवं 2004 में एक भाई को अर्धनिंद्रा में जिनमंदिर का नक्षा दिखाकर जीर्णोद्धार करवाने हेतु संकेत एवं प्ररेणा देकर इस साधारण सा घर जैसे निर्मित मंदिर को षिखरबन्ध मंदिर में परिणित करवाया है यही कारण हे कि इस तीर्थ मंदिर का नक्षा अन्य सभी जैन मंदिरों से भिन्न है।

  •  अदृष्य दैविक शक्तियों के संकेत अनुसार प्रति सप्ताह रविवार के दिन प्रातः 9 बजे से 12 बजे तक केसरिया कुंथुनाथ, माँ चक्रेष्वरी, नाकोड़ा भैरव, श्री मोहनसा देवाय महापूजन (नखरा 1101 रूपये) पढ़या जाता है चक्रेष्वरी महापूजन के पष्चात् कत्लखाने से छुड़वाकर लाए हुए पाॅच बकरे अभयदान (नखरा 2100 रूपये प्रति बकरा) हेतु अर्पण किये जाते है तथा गायों को 3500 रूपये का घास (नखरा 700 रूपये प्रतिदिन), वितरित किया जाता है। महापूजन, अभयदान, कबूतर एवं गायों जीवदया का पुण्य लाभ लेने हेतु इच्छुक भाग्यषाली पुजारीजी के पास अपना नाम लिखवा सकते है।

  •  जहाॅ अदृष्य शक्ति के संकेतानुसार प्रतिवर्ष आसोज नौरात्रों में होम अष्टमी के दिन केसरिया कुंथुनाथ रोग एवं व्याधि निवारण मंत्र (ऊँ ह्नीं श्रीं गंधर्व बला चक्रेष्वरी नित्यं चैबिस अधिष्ठायक परिपूजिताय श्री केसरिया कुंथुनाथ नमः) का 999 बार आहवान् कर प्रभु कंुथुनाथ को 999 बर अष्ट प्रकारी सामग्री (जल चंदन, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य, फल) अर्पण की जाती है।

  •  जहाॅ यात्रियों के प्रवास के लिए आधुनिक सुविधायुक्त ए.सी., गीजर डबलबेड युक्त करें एवं भोजनषाला उपलब्ध है।

  •  इन तीर्थ मंदिर में शासन चक्रेष्वरी का विषेष लगाव है। यहाॅ चक्रेष्वरी देवी के श्रीमुख से अनेक चमत्कारिक भविष्यवाणियां एवं घटनाएॅ घटित हुई है। अन्तिम भविष्यवाणी 16 फरवरी, 1992 के अनुसार ’’यह जैन मंदिर पालीताना के समतुल्य तीर्थ है और पालीताना के समतुल्य तीर्थ होगा।’’ अन्त में अति अति विस्मय है कि शुरू में इस तीर्थ के निर्माण में मुख्य सहयोगी एंव कार्यकर्ता रहे स्व. श्री मोहनमलसा दफतरी मेहता वर्तमान में जनश्रुति अनुसार सातवें देव लोक के वैमानिक देव का इस तीर्थ अति अति लगाव एवम् उनकी उपस्थिति का भक्तों द्वारा आभास किया जाता रहा है। दैविक संकेत अनुसार 30 जून 2014 से उनकी समकिति मुद्रा में निर्मित प्राण प्रतिष्ठत मूर्ति की नित्य अष्ट प्रकारी पूजा व आरती आयोजित है।

  •  वर्तमान में इस तीर्थ बाबत् ऐसी भावना प्रचलित हो चुकी है कि इस तीर्थ के अद्भुत विकास एवं चमत्कारिक घटनाओं के पीछे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष जिस देवीय शक्ति का हाथ रहा वह स्व. श्री मोहनमलसा दफतरी मेहता का दैवीय रूप है। दैविक संकेत अनुसार मोहनसा देवाय की पूजा कम्बल से आयोजित है। आप पुजारीजी से कम्बल (नुक्करा 200 रूपये) प्राप्त कर मंत्रोचार के साथ मोहनसा देवाय की वस्त्र पूजा कर सकते है। ये कम्बल सड़को पर सर्दी से ठिठुरते हुए जरूरतमंद लोगो को रात्रि में ओढादी जाती है। यह लाभ कोई भी व्यक्ति ले सकता है।

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